कताई मिल

कताई मिल चले बेहतर होगा हैंडलूम-पावरलूम


उद्योग हेतु-वर्ना इस भूमि का सदुपयोग...


उ0प्र0 में झांसी, हरदोई के साथ ही मेरठ की कताई मिल व उसकी जमीन को यूपीसीडा ने औद्योगिक क्षेत्र विस्तार के अन्र्तगत सूत निगम से 241 करोड़ में खरीद रहा है। प्रदेश में हैण्डलूम, पावरलूम अपनी पहचान रखता है और इसको बढ़ावा देकर देश में ही नहीं बल्कि विदेशों तक में इनके उत्पाद की बिक्री के प्रयास हो रहे है। प्रदेश में हैण्डलूम-पावरलूम इकाईयां वह उनके लिए सूत की व्यवस्था के लिए बनी यह कताई मिले का औद्योगिक विकास का हिस्सा नहीं है जो इन इकाईयों को खत्म कर नीजि क्षेत्र की इकाइयों के लिए भूमि की उपलब्धता हेतु इन मिलों को खत्म कर इनकी जमीन को बेचा जा रहा है। यह प्रदेश की वर्तमान सरकार के मोदी-योगी है सब मुमकिन है की प्रतिष्ठा पर प्रश्न चिन्ह पैदा करेगा की धागे की मांग और मिल चलने में असमर्थता। 
यह कताई मिले सरकारी क्षेत्र में चल रही थी। सूत निगम इन मिलों को चलाता जो पैसा सरकारी खजाने से यूपीसीडा को देकर सूत निगम को इन मिलो की भूमि खरीदी जा रही है यह धनराशि इन इकाइयों को चलवाया जा सकता था। सूत निगम इन्हें चलाने हेतु थक गया है तो इन्हें पीपी माडल पर या फिर नीजि क्षेत्र को देकर भी चलवाया जा सकता था। यह समझ से परे है कि मेरठ जैसे क्षेत्र जो हैण्डलूम व पावरलूम उत्पाद के लिए अपनी विशेष पहचान रखता है के लिए धागा सूत की उपलब्धता की व्यवस्था नजरन्दाज कर इन मिलो की भूमि पर अन्य उद्योग लगवाना किस सोच का परिचायक है। जिन उद्योगों के लिए यह जमीन ली जा रही है उनके लिए भूमि की कमी नहीं है। मोहिउद्दीनपुर मार्ग पर औद्योगिक क्षेत्र प्रस्तावित है। यूं भी मेरठ की चारों दिशाओं में औद्योगिक क्षेत्र विकसित हो भी रहे है।
मेरठ क्षेत्र में हैण्डलूम इकाईयों को धागे की व्यवस्था के लिए मोदी स्पीनिंग मिल पर निर्भर रहना होता है। इस मिल का उत्पाद इस क्षेत्र की मांग पूरी करने में समर्थ न होने के कारण यहां धागे की कमी बनी रहती है तथा धागा ब्लैक में या फिर ऊंचे दाम पर उपलब्ध होने से हैण्डलूम-पावरलूम उत्पाद की कीमत अधिक हो रही है। 
बिना ब्याज के शासन मिल भूमि हेतु ऋण दे रहा है तो...
मिलों की जमीन खरीद हेतु यूपीसीडा को बिना ब्याज का धन उपलब्ध करा रहा है तथा इन भूमियो का मूल्यांकन या बोली आदि न लगाकर अनुमान राशि नियत करना इस भूमि को कौड़ियों में देने की व्यवस्था का कारण क्या है जनहित में स्पष्ट तो होना ही चाहिए। मेरठ की कताई मिल की भूमि करीब 89 एकड़ है।
कताई निगम देनदारी तो...
सूत निगम या सरकार की मंशा धागा समस्या के समाधान को महत्व दे तो मिल के लिए कुछ जमीन रखकर अतिरिक्त भूमि ही बिक्री कर धन जुटाकर कर्ज भुगतान व मिल चलाने की धनराशि व्यवस्था भी की जा सकती थी। इन मिलो की बैंक देनदारी छोड़ शेष सरकार माफ कर रही है ऐसा तो मिल चलवाने के लिए भी किया जा सकता था। मिल पीपी माडल पर चलाने पर विचार गम्भीरता से होना समय की मांग है। 
कताई मिल भूमि की जरूरत जिला प्रशासन कार्याे हेतु है-प्रमाण चुनाव प्रक्रिया हेतु
कताई मिल की भूमि कुछ चुनाव में मतगणना आदि प्रशासनिक गतिविधियों के लिए महत्वपूर्ण बनी हुई है। स्नातक व शिक्षक चुनावों के लिए प्रशासन मतगणना के लिए अन्य कोई स्थल न नियत कर सका बल्कि उसे सबसे उपयुक्त यह कताई मिल ही नियत इस कार्य हेतु करना पड़ा इससे स्पष्ट है की जिला एवं मण्डल मुख्यालय के लिए प्रशासनिक दृष्टिगत कताई मिल कम महत्वपूर्ण नहीं है।
मिल चलाना ही नहीं तो इसे मेरठ बुनकरों को देकर हैण्डलूम-पावरलूम उद्योग की बढ़ावा
गत दिनों मेरठ के बुनकरों ने अपनी इकाइयां स्थापित करने के लिए इस कताई मिल स्थल को दिए जाने की मांग प्रशासन के माध्यम से सरकार की दी हुई है। इस कताई मिल भूमि में कुछ स्थल प्रशासनिक कार्यों व शेष में बुनकर इकाई व कुछ में सूत गोदाम भण्डारण के लिए निर्धारित कर मेरठ में हैण्डलूम व पावरलूम को संजीवनी दी जा सकती है। पावरलूम व हैण्डलूम इकाईयां धरों व पुराने शहर की गली कूंचों में इस तरह स्थापित है जो कि पर्यावरण के साथ जन जीवन के लिए भी खतरा बनी हुई है। मेरठ व जनपद से इन गली कूंचों से यह निकालने के लिए लोहिया नगर में इन्हें ले जाने का प्रयास कुछ वर्षों से ही रहा है पर सफल नहीं हो सका है। कताई मिल क्षेत्र में बुनकर जाने की बात कह रहे है।
मेरठ का पुराना संवेदनशील क्षेत्र गोला कुंआ सूत मार्केट रूप में है पर यह हमेशा संवेदनशील व अग्नि की आमंत्रण क्षेत्र बना है यहां कोई सुव्यवस्थित गोदाम सूत का नहीं है। सूत की जरूरत अनुसार मांग भी नहीं होने से हैण्डलूम पावरलूम काम प्रभावित रहता है। कताई मिल चलाओं तो बेहतर नहीं तो कम से कम इसकी भूमि इस उद्योग को तो समर्पित कर दो। - विपुल सिंहल अध्यक्ष संयुक्त व्यापार समिति (पंजी0)